राजनांदगाँव का नाम दिग्विजय नगर करने हिन्दू युवा मंच ने अपनी माँग दोहराई

छत्तीसगढ़
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O राजनांदगाँव का नाम दिग्विजय नगर करने हिन्दू युवा मंच ने मुख्यमंत्री, राज्यपाल, कलेक्टर, महापौर और आयुक्त का दोबारा ध्यानाकर्षण कराया.

राजनांदगाँव/हिन्दू युवा मंच जिला इकाई ने राजनांदगाँव जिले का नाम राजनांदगाँव रियासत के राजा दिग्विजय दास जी के नाम पर “दिग्विजय नगर” करने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल, महामहिम राज्यपाल महोदया सुश्री अनसुईया उईके, जिलाधीश श्री तारण प्रकाश सिन्हा, महापौर हेमा देशमुख और निगम आयुक्त डॉक्टर आशुतोष चतुर्वेदी को क्रमशः गत दिनाँक 7 मार्च 2022 को ज्ञापन सौंपकर माँग की थी। आज पर्यन्त उक्त माँग के पूरा न होने से क्षुब्ध हिन्दू युवा मंच ने राजनांदगाँव का नाम दिग्विजय नगर करने स्मरण पत्र के माध्यम से पुनः ध्यानाकर्षण कराते हुए जल्द से जल्द इसके नामकरण की माँग की है। हिन्दू युवा मंच का मानना है कि, राजनांदगाँव का नामकरण हो जाने से इसे एक अलग पहचान तो मिलेगी ही, राजनांदगाँव रियासत के दानी राजाओं के प्रति भी हम अपनी कृतज्ञता प्रकट कर पाएंगे। साथ ही राजनांदगाँव के पीछे लगे बाधक और अभिशप्त गाँव शब्द को हटाकर हम राजनांदगाँव की प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर पाएंगे। उक्ताशय की जानकारी देते हुए हिन्दू युवा मंच के जिलाध्यक्ष किशोर माहेश्वरी और शहर अध्यक्ष सुरेश लोहमार ने सँयुक्त रूप से बताया कि, सँस्कारधानी के नाम से जाने जाना वाला यह शहर आज जो कुछ भी है यहाँ के दानवीर और उदार राजाओं की बदौलत ही है। यहाँ के बैरागी राजाओं ने इस शहर और शहर के नागरिकों के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर और समर्पित कर दिया। इस शहर की बसाहट यहाँ के विद्वान राजाओं की के तकनीकी ज्ञान और दूरगामी सोच एक शानदार और बेजोड़ नमूना है। राजाओं की विवेकशीलता ही कहिए कि, सदियों पहले तैयार की गई बसाहट की योजना आज भी प्रासंगिक है, और 21 वीं सदी के हिसाब से भी इसकी बसाहट सौ फीसदी खरा उतर रही है। यही नही राजाओं ने राजनांदगाँव को इतना कुछ दिया है कि, अगर यहाँ की जनता अगर प्रत्येक पल भी कृतज्ञता प्रकट करती रहे तब भी कम है। सन 1868 में छत्तीसगढ़ में पहला उधोग, छत्तीसगढ़ के सबसे पहले समाचार पत्रों में से एक प्रजा हितैषी का प्रकाशन, राजनांदगाँव शहर में महँत राजा बलराम दास के योगदान से 125 से भी ज्यादा पुराने ऐतिहासिक स्कूल की स्थापना, दिग्विजय कॉलेज की स्थापना, सुनियोजित तरीके से राजनांदगाँव शहर की सुव्यवस्थित बसाहट, राजनांदगाँव के नागरिकों को पेयजल की सुविधा, राजनांदगाँव को व्यापार केंद्र की स्थापना के महत्वाकांक्षी उद्देश्य को पूरा करने देश के अन्य प्राँत के व्यापारियों को व्यापार के लिए आमंत्रित करना, राजनांदगाँव की खेल प्रतिभाओं को उभारने दिग्विजय स्टेडियम की स्थापना, आजादी के पूर्व से चली आ रही महँत राजा सर्वेश्वर दास स्मृति अखील भारतीय हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन, सन 1888 में छत्तीसगढ़ का पहला रेलखंड नागपुर – रायपुर, अगर यहाँ दयालु, उदार और दानवीर राजाओं ने रेलवे को सैकड़ों एकड़ जमीन में न दी होती तो रेल लाईन छत्तीसगढ़ में ही नही आ पाती। छत्तीसगढ़ का सबसे पहला उधोग बंगाल नागपुर कॉटन मिल की स्थापना ने पूरे प्रदेश में उधोगों की स्थापना का मार्गप्रशस्त किया है। दुर्ग जिला मुख्यालय में स्थापित हिन्दी भवन, रायपुर जिला मुख्यालय में स्थित महँत घासीदास स्मृति संग्रहालय भी राजनांदगाँव रियासत के दानवीर राजाओं की ही देन है। बेमेतरा जिले में सैकड़ो एकड़ जमीन राजगामी सम्पदा न्यास की है जो आज भी खेतिहर मजदूर वर्ग के काम आ रही है।

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