नेता प्रतिपक्ष ने सत्तापक्ष के पार्षदों की चुप्पी पर भी उठाए सवाल
राजनांदगांव 14 जुलाई 2022/ भाजपा पार्षद दल द्वारा बूढ़ा सागर सौंदर्यीकरण की आड़ में भ्रष्टाचार के मामले को लेकर गुरुवार को किया जाने वाले धरना प्रदर्शन बारिश के चलते स्थगित किया गया। नेता प्रतिपक्ष किशनु यदु ने बताया कि, करोड़ों की लागत से बूढ़ा सागर के सौंदर्यीकरण महज सत्तापक्ष का ढकोसला है। उन्होंने कहा कि महापौर नैतिकता और भरोसा खो चुकी हैं। वे जवाब दें कि आखिर क्यूं बूढा सागर सौंदर्यीकरण जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यूं नहीं की जा रही।
उन्होंने कहा कि, आज बारिश के चलते प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन स्थगित जरुर किया गया है लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों को सामने लाने और जिम्मेदारों पर कार्रवाई के लिए हम आवाज़ उठाते रहेंगे और इसे लेकर आगे और भी प्रदर्शन, आंदोलन विपक्ष द्वारा किए जाएंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि, बूढ़ा सागर सौंदर्यीकरण के तहत 67 लाख की लागत से बनाया गया झरना गायब है। इतनी बड़ी हेरा-फेरी के बाद भी महापौर और आयुक्त चुप्पी साधे बैठे हैं, जो साबित करता है कि इस खेल में उनके हाथ भी रंगे हैं । उन्होंने कहा कि, यहां हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए बनाई गई समिति ने कई माह पहले अपना जांच प्रतिवेदन निगम को सौंप दिया है। लेकिन महापौर के इशारे पर इसे अब तक दबाए रखा गया है और रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा रही है। जिम्मेदार अफसरों को भी बचाने की जुगत लगाई जा रही है। उन्होंने कहा कि, आज भाजपा के पार्षद और प्रतिनिधि इसी विषय पर धरना प्रदर्शन के लिए दिग्विजय कॉलेज परिसर के पिछले हिस्से में जहां कथित तौर पर झरना का निर्माण किया गया था वहां पहुंचे थे। लगातार बारिश होने के चलते प्रदर्शन टाला गया है। उन्होंने कहा कि, विपक्ष भ्रष्टाचार के इस मामले की सच्चाई सामने लाकर रहेगा। प्रदर्शन स्थल पर नेता प्रतिपक्ष के साथ पार्षद दल में शिव वर्मा,मणीभास्कर गुप्ता, विजय राय,पारस वर्मा गगन आइच,मधु बैद,रानू जैन,जया दुर्गेश यादव,आशीष डोंगरे,कमलेश बंधे,राजेश यादव,गप्पू सोनकर,राजू वर्मा,अंकित बंधे व अन्य मौजूद थे।
तो सार्वजनिक करें रिपोर्ट
किशुन यदु ने चुनौती देते हुए कहा कि, महापौर में अगर जरा भी नैतिकता बची है तो वे अपनी खुद की तारीफों से इतर बूढ़ा सागर सौंदर्यीकरण की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करें। उन्होंने सत्ता पक्ष के पार्षदों को लेकर भी कहा कि, आसमानी बातें करने वाले कांग्रेसी पार्षद जमीनी हकीकत टटोलें और अगर उनके हाथ साफ हैं तो महापौर से रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करें।
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