संवाददाता – करण सिंह ठाकुर
छुईखदान 14 दिसम्बर । आज भगवत कथा प्रांगण राजमहल में ही राजा गिरीराज किशोर दास एवं पुरे राज परिवार ने चाय वाले बाबा से ली विधिवत गुरु दीक्षा एवं गुरु के बताए हुए मार्ग में चलने का संकल्प लिया , व्यास पीठ पर विराजित “चाय वाले बाबा” ने अपने मुखारविंद से कहा कि सनातन के सारे ग्रन्थों मे भगवान ने स्वयं को अलंकृत कर दिया है,और उस पथ को नाम दिया है आध्यात्म, साथ साथ इस आध्यात्म मार्ग पर गुरुओ, विद्वत्जनों के मार्गदर्शन पर चलकर ही प्रभु तक पहुचा जा सकता है,पाया जा सकता है,परन्तु केवल गुरुओ, सत्पुरूषो महात्माओ के मार्गदर्शन मे,क्योकि जो पहुच गया है वही तो आपको पहुचा सकता है,परन्तु आज का युग आनलाईन, हॉटलाइन,का युग हो गया है,लोग सीधे डीलीवरी चाहते है,यही कारण है कि आज के नवीन पीढ़ी को अनुभूति नही हो पाती है,क्योकि वे ज्ञान मार्गी नही विज्ञान मार्गी हो चले है।
उक्त वचन यहा राजमहल मैरिज गार्डन मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवे दिवस के प्रवचन के दौरान कही,आपने बताया कि श्रीमद्भागवत ज्ञान का मुख्य केन्द्र बिन्दु है गंगोत्री है,जहा से ही ज्ञान रूपी गंगा प्रवाहित होती है,जो सदा सर्वदा कल्याण कारी है,और इसी ज्ञान मार्ग से भक्तिमार्ग, दास,योग,मित्र, विज्ञान मार्ग का प्रारंभ होता है।
परन्तु वर्तमान युग की नवीन पीढ़ी सबसे पहले विज्ञान के मार्ग पर चलकर सफलता चाहता है,जो संभव ही नही है,क्योकि जहा विज्ञान खत्म होता है वहां से आध्यात्म का प्रारंभ होता है,यह बात अब घर घर रोज साबित हो रहा है,आपने नवीन पीढ़ी का उदाहरण देते हुए बताते है कि आज युवा अपने शिक्षा का समाधान विज्ञान से कर रहा है,बाजार से वस्तु आर्डर से लाता है,वह प्रैक्टिकल है,और प्रभु का मार्ग धीरज है,उन्होने बताया कि यदि युवा ज्ञान के मार्ग से आगे बढे तो अंततोगत्वा भक्ति तक पहुच जाएगा और प्रभु सदा अपने भक्त के वश मे होते है।
आपने प्रवचन के माध्यम से वर्तमान युग के सारे साक्षीयो का आवाहन करते हुए कलियुग मे प्रभु नाम, की महिमा को एक बार पुनः उकेरते हुए बताया कि व्यर्थ के चितन,मनन,क्रिया प्रतिक्रिया, अहंकार, लोभ मे न पडते हुए सर्व जनो को सम्मान देते हुए भगवान का नाम जपते रहे तो कल्याण निश्चित है,और यही ज्ञान का सार है। बैकुंठ दर्शन कंस वध और रुक्मणी विवाह बहुत ही सुन्दर ढंग जीवांत व संगीत मय प्रस्तुति ने धर्म प्रेमी श्रोताओं का मन मोह लिया, बड़ी संख्या में महिलाएं भगवत कथा का रस पान करने प्रतिदिन प्रांगण में पहुंच रही है, भगवान श्रीकृष्ण के सुमधुर भजनों एवं आरती में कथा पंडाल में उपस्थित सभी धर्म प्रेमियों को मंत्रमुग्ध एवं थिरकने मजबूर कर देता है, चाय वाले बाबा को लेकर छुईखदान नगर में जबरदस्त रूप से भागवत कथा के माध्यम से भक्ति मय माहौल बन गया है, भगवत कथा सुनने आने वाले सभी सनातनी भाई बहनों के लिए राजमहल प्रांगण में ही महाप्रसादी की भी व्यवस्था कि गई है।
