आवारा कुत्तो से सहमा शहर

छत्तीसगढ़
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संवाददाता – करण सिंह ठाकुर 

छुईखदान। नवीन जिला खैरागढ छुईखदान गंडई के मध्य मे आने वाले शहर छुईखदान मे इन दिनो कही बाहर से आए आवारा कुत्तों ने दहशत फैला रखी है लोग-बाग शाम ढलने के बाद आवश्यक से आवश्यक कामों के लिए अकेले निकलने की साहस नही जुटा रहे है,यदि जरूरी हुआ तो सुरक्षा के पूरे इंतजाम के साथ साथ एक साथी लेकर निकलने पर मजबूर है,विडंबना यह भी है कि इन आवारा कुत्तो का जमावड़ा अधिकांशतः भीड भाड व अति आवश्यक क्षेत्रो जैसे बस स्टैण्ड, जय स्तंभ, बाजार लाईन तहसील कार्यालय, स्कुल के सामने जैसे ईलाके में सक्रिय रूप से रहती है. उस झुंड के इन सदस्यो द्वारा कोई शांति नही बरती जाती है,अपितु अधिकांश समय एक दूसरे पर लगातार हमले करते रहते है, जिसे लेकर दहशत का माहौल बना हुआ है. जबकि मामले मे शासन प्रशासन की ओर से इन पर कार्यवाही कर लोगो को सुरक्षा मुहैया कराने की कार्यवाही की उम्मीद बनी हुई है।
(स्कूली बच्चो कर्मचारियो की आवाजाही)
ज्ञात हो कि जिन चौक को इन आवारा कुत्तो द्वारा कब्जा किया गया है वहां से सुबह से लेकर शाम तक छोटे छोटे स्कूली बच्चो, शासकीय कर्मचारियो का दिनभर आना जाना लगा रहता है.ऐसे मे यदि इन बिना टीकाकरण के आवारा कुत्तो द्वारा किसी पर हमला कर जख्मी कर दिया जाता है तो रैबिज या अन्य प्रकार के संक्रमण की संभावना से इंकार नही किया जा सकता।
( नगर भर भौंकने लड़ने की गूंज)
बताते है इन कुत्तो का झुंड रात मे ठंड के चलते गरमी की तलाश मे शहर के भीतर प्रवेश कर जाते है. और वहां भी आपस मे लड़ाई जारी रहती है,जिसके चलते भी लोगो मे न केवल भय व्याप्त है साथ ही लोगो की नीद सुख चैन सब ख़राब हो रहा है खासकर उन मरीजों का जिनको हृदय संबंधी परेशानी है, जिन्हे चिकित्सको द्वारा भरपूर नींद लेने की सलाह दी गई हो।
(एक उम्मीद)
इस दिशा मे शासन प्रशासन के लगभग सभी दरों पर समस्या से निजात हेतु अलग अलग लोगो द्वारा बातचीत किया गया है,सभी की ओर से नगर पंचायत क्षेत्र का हवाला भी दिया गया है, परन्तु एक साथ मिल बैठकर समन्वय से इस समस्या के समाधान के लिए बैठने के लिए किसी के पास समय नही है अर्थात फोकट सलाह सभी के पास है,जबकि यदि कोई आक्रोश मे आकर ईनको मार देता है तो फिर उसे पशु संरक्षण नियम,पशु अत्याचार अधिनियम,जीवदया,प्राणी सुरक्षा,वन विभाग,विभिन्न संस्थाओं के लंबे चौडे़ लगभग जीवनभर कचहरी पेशी से गुजरने वाली रास्तो सामना करना पड़ेगा जो किसी भी आम आदमी के लिए असंभव सा कार्य है,भले ही ये आवारा कुत्ते किसी के बच्चो गाय के छोटे बछडो़ (जैसा पहले हो चुका है)को नोच खाए,ऐसे आवारा जानवरो के पालनहारो से भी समस्या के निदान की आस बनी हुई है।
इस प्रकार से नगर मे अचानक आए इन आवारा कुत्तो के रूप मे आए समस्या का निदान जल्द नही किया गया तो यह माना जा रहा है कि ये किसी न किसी को अपना शिकार जरूर बना सकते है।

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